कांग्रेस पार्टी ने संसद के मौजूदा सत्र में गांधी परिवार एवं पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने का मामला उठाया। शून्यकाल के दौरान पार्टी नेता आनंद शर्मा ने कहा कि यूपीए सरकार ने सत्तारूढ़ रहते हुए कभी भी अपने विरोधियों से सुरक्षा कवर वापस नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के विषय को पक्षपातपूर्ण राजनीतिक विचारों से परे होकर देखा जाना चाहिए।
दूसरी ओर, सूत्रों का कहना है कि एसपीजी होते हुए भी गांधी परिवार ने कई बार जोखिम उठाया था। कई अवसरों पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने एसपीजी की सलाह नहीं मानी। एसपीजी को बताए बिना कहीं भी चले जाना जैसे लापरवाही भरे काम किए। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सदैव एसपीजी की सलाह मानी। चाहे वो दिल्ली में रहें या फिर कहीं बाहर जाएं, हमेशा एसपीजी को लेकर गए।
बुधवार को सदन में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि गांधी परिवार को सबसे ज्यादा खतरा लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) से था, जो अब खत्म हो चुका है।
दूसरी ओर, सूत्रों का कहना है कि एसपीजी होते हुए भी गांधी परिवार ने कई बार जोखिम उठाया था। कई अवसरों पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने एसपीजी की सलाह नहीं मानी। एसपीजी को बताए बिना कहीं भी चले जाना जैसे लापरवाही भरे काम किए। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सदैव एसपीजी की सलाह मानी। चाहे वो दिल्ली में रहें या फिर कहीं बाहर जाएं, हमेशा एसपीजी को लेकर गए।
बुधवार को सदन में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि गांधी परिवार को सबसे ज्यादा खतरा लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) से था, जो अब खत्म हो चुका है।
जान के लिए खतरा बन सकती थी यह आदत
राहुल गांधी ने 2005-2014 के दौरान कई बार गैर-बीआर (बुलेट प्रतिरोधी) वाहनों में सफर किया है। उन्होंने गैर-बीआर वाहन में सवार होकर देश के विभिन्न हिस्सों की 18 यात्राएं की थी। यह कदम उनकी जान के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता था। उन्होंने एसपीजी की सलाह को दरकिनार किया। केवल दिल्ली की बात करें तो राहुल गांधी ने 2015 से मई 2019 तक 247 बार बिना बुलेट प्रूफ गाड़ी में सफर किया। इसी तरह सोनिया गांधी ने 50 बार और प्रियंका गांधी ने 403 बार एसपीजी द्वारा तैयार वाहन का इस्तेमाल नहीं किया।
गैर-बीआर (बुलेट प्रतिरोधी) वाहन
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी 2005 से लेकर 2014 तक 18 बार गैर-बीआर वाहनों में बैठे। 2015 से 2019 तक वे दिल्ली में अलग अलग स्थानों पर 1892 बार गए थे। इनमे से उन्होंने 247 बार गैर-बीआर वाहन में यात्रा की। इसके अलावा राहुल गांधी ने मोटर वाहन अधिनियम और सुरक्षा सलाह के प्रावधानों का उल्लंघन कर कुछ अवसरों पर वाहन की छत पर बैठकर यात्रा की थी।
4 अगस्त 2017 को बनासकांठा (गुजरात) में अपनी यात्रा के दौरान, जब वे एक गैर-बीआर कार में यात्रा कर रहे थे, तब वहां एक पथराव की घटना हुई थी। इसमें एसपीजी पीएसओ घायल हो गया था। अगर वह गाड़ी बुलेट प्रूफ होती तो पीएसओ को चोट से बचा जा सकता था। राहुल गांधी ने अप्रैल 2015 से जून 2017 के बीच अपनी 121 यात्राओं में से 100 अवसरों के लिए एसपीजी के बीआर वाहनों का लाभ नहीं उठाया।
1991 के बाद अब तक की कुल 156 विदेशी यात्राओं में से उन्होंने 143 यात्राओं पर एसपीजी अधिकारियों को साथ नहीं लिया। इन 143 विदेशी यात्राओं में से अधिकांश यात्राओं का कार्यक्रम उन्होंने अंतिम समय पर एसपीजी के साथ साझा किया।
4 अगस्त 2017 को बनासकांठा (गुजरात) में अपनी यात्रा के दौरान, जब वे एक गैर-बीआर कार में यात्रा कर रहे थे, तब वहां एक पथराव की घटना हुई थी। इसमें एसपीजी पीएसओ घायल हो गया था। अगर वह गाड़ी बुलेट प्रूफ होती तो पीएसओ को चोट से बचा जा सकता था। राहुल गांधी ने अप्रैल 2015 से जून 2017 के बीच अपनी 121 यात्राओं में से 100 अवसरों के लिए एसपीजी के बीआर वाहनों का लाभ नहीं उठाया।
1991 के बाद अब तक की कुल 156 विदेशी यात्राओं में से उन्होंने 143 यात्राओं पर एसपीजी अधिकारियों को साथ नहीं लिया। इन 143 विदेशी यात्राओं में से अधिकांश यात्राओं का कार्यक्रम उन्होंने अंतिम समय पर एसपीजी के साथ साझा किया।